Sunday, August 14, 2011

Idiot

मैं तो फिर भी खुश नसीब था, कि तेरे प्यार के ख्वाइश मे रोया
तुम बदनसीब को यह खबर तक नही है कि क्या क्या तुमने खोया

कोई बरगद कि जड़ जैसे, गहरी हैं मेरी चाहत
इतने जो हिलते हो, कब मिलेगी तुम्हे प्यार की राहत?

ठुकराते ठुकराते तुम थक जाओगे
अपनाते अपनाते मैं तो कभी नही

रोज़ रोज़ सच्चा प्यार नही पाओगे
अब तो वैसी दुनिया नही रही

For Kim

उड़ते हुए आई थी, उड़ते हुए चल पड़ी
बात जो वह करती है, होती है दिलचस्प बड़ी

कोशिश तो पूरी की, पर कभी उस से आँख न लड़े
यह दिल भी है बेवकूफ़, उम्मीदें रखता है बड़े बड़े