Wednesday, April 20, 2011

Darj hai

एक बार तो मुझे आज़मा के देखो, इसमे ऐसा क्या हर्ज़ है?
प्यार मे होता नही है सौदा, न होता कोई भी क़र्ज़ है

यह ज़हर नही है, जाम है, इसे पीने से क्यों डरते हो?
रोज़ रोज़ हम मरते हैं, फिर तुम जीने से क्यों डरते हो?

मेरि ज़ुल्म बस यही है की जो दिल मे है वह हॉट पे आ गयी
तेरी ज़ुल्म तो यह है की तू दिल मे बस गयी, रूह पर छा गयी

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